सिंधु नदी समझौता: भारत और पाकिस्तान के बीच
सिंधु नदी, जो दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है, भारतीय उपमहाद्वीप के लाखों लोगों के लिए जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है। भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को लेकर सिंधु नदी समझौता एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम था। यह समझौता 19 सितंबर 1960 में हुआ था और आज भी दोनों देशों के जल विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाता है। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच जल को लेकर बढ़ते तनाव को शांत करने का काम किया है।
सिंधु नदी समझौता: इतिहास
सिंधु नदी प्रणाली, जिसमें मुख्य रूप से सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियाँ शामिल हैं, एक बड़ी जलधारा है जो पाकिस्तान, भारत और चीन से होकर बहती है। भारत और पाकिस्तान के विभाजन (1947) के बाद, सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। 1960 में, दोनों देशों के बीच सिंधु नदी के पानी का बंटवारा करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता हुआ जिसे सिंधु नदी समझौता या 'Indus Water Treaty' कहा जाता है।
सिंधु नदी समझौते के प्रमुख बिंदु:
सिंधु नदी समझौते का महत्व:
सिंधु नदी समझौता केवल जल बंटवारे का समझौता नहीं था, बल्कि इस समझौते ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षों को शांत करने में अहम भूमिका निभाई है, विशेष रूप से 1965 और 1971 के युद्धों के बाद। यह भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग का एक प्रतीक बन गया। इसके द्वारा जल विवादों को एक कानूनी ढांचे में सुलझाने का रास्ता तैयार हुआ।
इसके अलावा, यह समझौता दोनों देशों के बीच जल प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर भी सहयोग को बढ़ावा देता है। इसने जल संसाधनों के न्यायपूर्ण उपयोग की दिशा में एक ठोस आधार तैयार किया।
पानी का उपयोग:
भारत को इन तीन नदियों (रावी, ब्यास, और सतलुज) के पानी का इस्तेमाल अपनी जरूरतों के लिए करने की अनुमति दी गई, लेकिन इसे पाकिस्तान को नुकसान पहुँचाए बिना करना था। भारत को इन नदियों का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करने का अधिकार था।
पानी का बंटवारा:
इस समझौते के तहत, सिंधु नदी की छह प्रमुख नदियों का पानी दोनों देशों के बीच बाँटा गया। पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियाँ मिलीं, जबकि भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियाँ मिलीं।
जल प्रबंधन के उपाय:
समझौते में दोनों देशों के बीच एक संयुक्त आयोग का निर्माण किया गया जो जल प्रबंधन, पानी की आपूर्ति, और विवादों को सुलझाने में मदद करेगा। यह आयोग दोनों देशों के जल संसाधनों का साझा प्रबंधन सुनिश्चित करता है।
समझौते के बाद के विवाद:
सिंधु नदी समझौता अब तक दोनों देशों के बीच जल विवादों को सुलझाने में प्रभावी साबित हुआ है, लेकिन समय-समय पर इसके बारे में विवाद भी उठते रहे हैं। विशेषकर जब पाकिस्तान यह आरोप लगाता है कि भारत सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी का गलत तरीके से उपयोग कर रहा है। 2016 के बाद से, भारत ने पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति में कटौती करने के संकेत दिए हैं, जो एक विवादास्पद विषय बन चुका है।
हालाँकि, यह समझौता अभी भी प्रभावी है, और दोनों देशों के बीच जल वितरण और प्रबंधन पर सहमति कायम रखने का प्रयास किया जा रहा है। संयुक्त आयोग के माध्यम से लगातार संवाद और विवादों का समाधान खोजा जा रहा है।
आशा है आपको सिंधु नदी समझौते के बारे में ये पोस्ट उपयोगी लगी होगी। अगर आपके पास इस विषय से संबंधित कोई सवाल हो, तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें।
Faq:-
1. सिंधु नदी समझौता कब हुआ?
उत्तर: 19 सितंबर 1960
2. सिंधु नदी समझौता किन देशों के बीच हुआ?
उत्तर: भारत और पाकिस्तान
3. सिंधु नदी समझौते में मध्यस्थता किसने की?
उत्तर: विश्व बैंक
4. भारत को कौन-सी नदियों का उपयोग मिला?
उत्तर: रावी, ब्यास, सतलुज
5. पाकिस्तान को कौन-सी नदियों का उपयोग मिला?
उत्तर: सिंधु, झेलम, चेनाब
6. सिंधु नदी की कुल लंबाई कितनी है?
उत्तर: 3,180 किलोमीटर
7. सिंधु नदी समझौते पर भारत की ओर से किसने हस्ताक्षर किए?
उत्तर: जवाहरलाल नेहरू
8. सिंधु नदी समझौते में कुल कितनी नदियाँ शामिल हैं?
उत्तर: छह (रावी, ब्यास, सतलुज, सिंधु, झेलम और चेनाब)
9. सिंधु नदी का उद्गम स्थान कहाँ है?
उत्तर: तिब्बत (चीन)
10. सिंधु नदी का पानी किस सागर में गिरता है?
उत्तर: अरब सागर
11. सिंधु नदी समझौता किस वर्ष लागू हुआ?
उत्तर: 1960
12. सिंधु नदी समझौते को जल प्रबंधन का उदाहरण क्यों माना जाता है?
उत्तर: यह जल विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का आदर्श है।
13. पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली का कितना प्रतिशत जल मिला?
उत्तर: लगभग 80%
14. समझौते में कितनी पूर्वी नदियाँ भारत को दी गईं?
उत्तर: तीन (रावी, ब्यास, सतलुज)
15. सिंधु नदी समझौते के तहत विवाद सुलझाने के लिए कौन-सा प्रावधान है?
उत्तर: तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता अदालत।
Leave a Comment